“होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं
गिले शिकवे भूल कर दोस्तों, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं“
शोले फिल्म के इ गाना यथार्थ के धरातल पर लिखल कवि के
कल्पना ही ना हवे बल्कि भारतीय समाज के होली के बारे में व्यक्त कईल गईल सोच भी ह | होली के रंग-बिरंगा त्यौहार के मस्ती में डूब के जब दुश्मन भी रंग लगावे खातिर
आवे ला त ओके इंसान कईसे मना कर सकेला | फागुन (फाल्गुन) महिना के पूर्णिमा के मनावल जाये वाला
इ त्यौहार, ना बस बच्चों अउर युवाओं खातिर ह बल्कि बुढा- बुजुर्ग खातिर भी ह |
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होली |
जइसन की हम अपने हर त्यौहार के ऊपर लिखल पोस्ट में कहत
आईल बानी की हर भारतीय त्यौहार के साथे कवनो ना कवनो पौराणिक कहानी जुडल होला और साथ
ही में ओकर वैज्ञानिक महत्व भी होला | अइसही होली से भी जुडल एगो कहानी ह जवन की बहुत ही लोकप्रिय
ह | कहानी कुछ ए तरह हवे कि भगत प्रह्लाद के पिता हिरन्यकश्यप खुद के ही भगवान कहत
रहने, उ भगवान् विष्णु के घोर बिरोधी रहने जबकि प्रह्लाद कट्टर विष्णु भक्त | बार-बार मना कईले के बाद भी जब प्रहलाद ना मनने त उनके मारे के कई बार कोशिश कईल
गईल लेकिन एक्को कोशिश सफल ना भईल | अंत में हार के हिरन्यकश्यप अपने बहिन होलिका से मदद
मंगने, होलिका के पास एगो कपडा रहे जवन की आग में ना जले | होलिका पाहिले त अपने भाई के समझवाली लेकिन बाद में उनकरे जिद के आगे झुक के मदद
करे खातिर तैयार हो गईल, लेकिन उ अपने भतीजा प्रह्लाद से भी बहुत प्यार करत रहली | प्रह्लाद के अपने गोंद में लेके होलिका चिता पर बइठ गईली, लेकिन जब आग के लपट चारो तरफ से घिर गईल त होलिका आपन कपडा जवन कि आग में ना जले
ओके प्रह्लाद के ओढा देहली | ओह कपडा के कारन प्रह्लाद त बच
गयिने लेकिन होलिका जल के भस्म हो गईली |
होलिका दहन के दिन आज भी बुकुआ (उबटन) लगावल जाला जेसे
की पूरा शरीर के गन्दगी साफ़ हो जाला इ गन्दगी इन्सान में व्याप्त पाप और मनोविकार के
दर्शावेला अउर ओके होली के दिने सुबेरे में लेजाके होलिका के अर्पण कईल जाला | बुकुआ सरसों के भून के पिसल एगो प्राकृतिक लेप अउर दावा ह जवन की थकान भी मिटा
देला और साथ ही में शरीर पर तेल के परत फइला देला जेसे की होली के बाद रंग उतरले में
आसानी होला |
अब होली के वैज्ञानिक पक्ष के भी बात कर लिहल जां | दिवाली के करीब चार महिना के बाद घर के सफाई भी जरुरी हो जाला कहें से की ठण्ड
में आम जनता के सफाई के हिम्मत ना होला | त ठण्ड के बाद घर के सफाई कईले के कारन बीमारी के कवनो
कारन ना बचेला | अगर ध्यान देहल जां त होली के त्यौहार साल के ओह समय होला जब मौसम आपन मिजाज बदलत
रहेला, ठण्ड के अंतिम समय चलत रहेला और साथ में गर्मी के शुरुआत होत रहेला | एह समय मौसम के बदलले के कारन अगर ध्यान न दिहल जा त इन्सान बीमार पड सकेला | त होली के दिन लगभग दिन भर पानी अउर रंग में भींग के अपने शरीर के मौसम के अनुकूल
भी बनावल जाला | साथ ही साथ ठण्ड के कारन लोग एक दुसरे के घरे न जा पवेलें त होली के दिने सबसे
मिल के रिश्तन में पडल ठण्ड के फिर से गरम कईल जाला |
होलिका दहन के अगिला दिने होली के त्यौहार मनावल जाला
जेम्मे की लोग एक दुसरे पर अबीर, गुलाल और रंग डालेलें | होली ना सिर्फ मित्र, रिश्तेदार और शुभचिंतक के साथ ही खेलल जाला बल्कि एह दिने त दुश्मन भी सब बैर भुला
के गले लग जाने अउर होली खेलेलें | पिचकारी अउर गुब्बारा में रंग भर के एक दुसरे के ऊपर
फेकले से बच्चन के फुर्सत न मिलेला | बच्चा सब त कई दिन पहिले से ही पिचकारी और रंग लेके
सबके परेशान करें लें | मिठाई, गुझिया अउर मालपुआ त हर घर में ही बनेला | “बुरा ना मानो होली है” के नारे के साथ जब हुरियारन के झुण्ड के झुण्ड निकलेला त गली मोहल्ला के शोभा देखे
वाला होला |
त गुझिया-मालपुआ खाई सभे अउर बुरा ना मानो होली है के
नारा लगायीं लेकिन ध्यान रखीं कि आपके मजा केहू खातिर सजा ना बन जा |
आप अउर आपके परिवार के हमारे अउर हमरे परिवार के तरफ
से होली के ढेर सारा शुभकामना |