Tuesday, May 5, 2015

भोजपुरी कहावत,लोकोक्ति अउर मुहावरा - भाग दू



भोजपुरी जनता द्वारा बोलल जाए वाला कुछ हिंदी में अनुवादित मुहावरा, भोजपुरी न समझे वाला लोगन के भी इ समझ आवे एह्लिये एकर हिंदी अनुवाद और अर्थ भी दिहल जात हवे | इ सब कहावत भोजपुरिया समाज के गाँव अउर आस पास के क्षेत्रन में आसानी से सुनल जा सकेला, एही खातिर इ सब मुहावरा अउर कहावत में समाज और माटी के भीना-भीना सुगंध भी मिलल हवे | कवनो समाज के अगर पूरा तरह जाने के होखे त ओ समाज के मुहावरा और कहावत सुने के चाही काहें से कि एक-एक मुहावरा अउर कहावत में ओह समाज के चिंतन अउर जीवन के सार भरल होला | त प्रस्तुत बा कुछ भोजपुरी कहावत और मुहावरा ...


०१ :- रहे निरोगी जे कम खाया, काम न बिगरे जो गम खाया।
अर्थ- कम खाना और गम खाना अच्छा होता है।

०२ :- केरा (केला), केकड़ा, बिछू, बाँस इ चारो की जमले नाश।
अर्थ- इन चारों की संतान ही इनका नाश कर देती है।

०३ :- सांवा खेती, अहिर मीत, कबो-कबो होखे हीत।
अनुवाद एवं अर्थ-- साँवा की खेती और अहिर की दोस्ती कभी-कभी ही लाभदायक होते हैं।

०४ :- आगे के खेती आगे-आगे, पीछे के खेती भागे जागे।
अर्थ- उपयुक्त समय की खेती अच्छी होती है लेकिन पीछे की गई खेती भाग्य पर निर्भर होती है।

०५ :- बकरी के माई कबले खर जिउतिया मनाई।
अनुवाद- बकरी की माँ कबतक खर जिउतिया मनाएगी।
अर्थ- जो होना है वह होगा ही।

०६ :- दस (आदमी) के लाठी एक (आदमी) के बोझ।
अर्थ- एकता में शक्ति है।

०७ :- जवने पतल में खाना ओही में छेद करना।
अनुवाद- जिस पत्तल में खाना उसी में छेद करना।
अर्थ- विश्वासघात करना।

०८ :- रोग के जड़ खाँसी।
अर्थ- खाँसी रोगों की जड़ है।

०९ :- मन चंगा त कठवती में गंगा।
अनुवाद- मन चंगा तो कठवत में गंगा।
अर्थ- मन की पवित्रता सर्वोपरि है।

१० :- सौ पापे बाघ मरेला।
अनुवाद- सौ पाप करने पर बाघ मरता है।
अर्थ- अति सर्वत्र वर्जयेत। पाप का घड़ा भरेगा तो फूटेगा ही ।

११ :- बाभन,कुकुर, भाँट, जाति-जाति के काट।
अर्थ- ब्राह्मण ,कुत्ता और भाँट अपनी जाति के लोगों के ही दुश्मन होते हैं।

१२ :- गाइ बाँधी के राखल जाले साड़ नाहीं।
अनुवाद- गाय बाँधकर रखी जाती है, साड़ नहीं।
अर्थ- मर्द की अपेक्षा औरत पर ज्यादे निगरानी रखना।

१३ :- जीअत पर छूँछ भात, मरले पर दूध-भात।
अनुवाद- जीवित रहने पर केवल भात, मरने पर दूध-भात।
अर्थ- मरने के बाद आदर बढ़ जाना।

१४ :- एगो पूते के पूत अउरी एगो आँखी के आँखि नाहीं कहल जाला।
अनुवाद- एक पूत को पूत और एक आँख को आँख नहीं कहा जाता।
अर्थ- संतान एक से अधिक ही अच्छी है।

१५ :- लोहा के लोहे काटेला।
अनुवाद- लोहे को लोहा काटता है।
अर्थ- समान प्रकृतिवाला ही भारी पड़ता है।



Saturday, May 2, 2015

भोजपुरी कहावत,लोकोक्ति अउर मुहावरा - भाग एक

      भोजपुरी जनता द्वारा बोलल जाए वाला कुछ हिंदी में अनुवादित मुहावरा, भोजपुरी न समझे वाला लोगन के भी इ समझ आवे एहलिये एकर हिंदी अनुवाद और अर्थ भी दिहल जात हवे | इ सब कहावत आप भोजपुरिया समाज के गाँव अउर आस पास के क्षेत्रन में आसानी से सुनल जा सकेला, एही खातिर इ सब मुहावरा अउर कहावत में समाज और माटी के भीना-भीना सुगंध भी मिलल हवे | कवनो समाज के अगर पूरा तरह जाने के होखे त ओ समाज के मुहावरा और कहावत सुने के चाही काहें से कि एक-एक मुहावरा अउर कहावत में ओह समाज के चिंतन अउर जीवन के सार भरल होला | त प्रस्तुत बा कुछ भोजपुरी कहावत और मुहावरा ...

०१ :- पूरी के पेट सोहारी से नाहीं भरी।
अनुवाद- पूड़ी का पेट सोहारी से नहीं भरेगा।
अर्थ- रुचि अनुसार भोजन होना चाहिए।

०२ :- सब चाही त काम आँटी।
अनुवाद- सब चाहेंगे तो काम अँटेगा।
अर्थ- अगर सब लोग काम में हाथ बटाएँ तो काम मिनटों में समाप्त हो जाए।

०३ :- सेतिहा के साग गलपुरना के भाजी।
अनुवाद- मुफ्त का साग गलपुरना की भाजी।
अर्थ- किसी वस्तु के होते हुए भी उसे और लाना जैसे लगे की मुफ्त की हो।

०४ :- नेबुआ तs लेगइल सागे में मती डाले।
अनुवाद- नेंबू तो ले गया, साग में मत डाले।
अर्थ- किसी वस्तु के गलत प्रयोग होने की आशंका।

०५ :- छिया-छिया गप-गप।
अनुवाद- छी-छी गप-गप।
अर्थ- किसी वस्तु को खराब भी कहना और उसका उपयोग भी करना।

०६ :- बाबा के धियवा लुगरी अउरी भइया के धियवा चुनरी।
अनुवाद- दादा की बेटी लुगरी और भाई की बेटी चुनरी।
अर्थ- बुआ से अधिक मान बहन का होने पर कहा जाता है। यानि जो रिस्ते में जितना करीब उसका उतना ही मान।

०७ :- सबकुछ खइनी दुगो भुजा ना चबइनी।
अनुवाद- सब कुछ खाया दो भुजा न चबाया।
अर्थ- भरपेट खाने के बाद भी इधर-उधर देखना कि कुछ खाने को मिल जाए।

०८ :- हाथी आइली हाथी आइली पदलसी भढ़ाक दे।
अनुवाद- हाथी आयी, हाथी आयी पादी भढ़ाक दे।
अर्थ- अफवाह फैलने पर कहा जाता है यानि झूठी बात।

०९ :- जवन रोगिया के भावे उ बैदा फुरमावे।
अनुवाद- जो रोगी को अच्छा लगे वही वैद्य बतावे।
अर्थ- किसी को वही काम करने को कहना जो उसको अच्छा लगे।

१० :- आन की धन पर कनवा राजा।
अर्थ- दूसरे की वस्तु पर अपना अधिकार समझना।

११ :- बड़ के लइका पादे त बाबू के हवा खुली गइल अउरी छोट के
पादे त मार सारे पदले बा ।
अनुवाद- बड़ का लड़का पादे तो बाबू का हवा खुल गया और छोट का पादे तो मार साला पाद दिया।
अर्थ- बड़ को इज्जत और छोट का अपमान।

१२ :- बुढ़वा भतार पर पाँची गो टिकुली।
अनुवाद- बुढ़े पति पर पाँच टिकली।
अर्थ- वह काम करना जिसकी आवश्यकता न हो।

१३ :- बेटा अउरी लोटा बाहरे चमकेला।
अनुवाद- पुत्र और लोटा बाहर ही चमकता है।
अर्थ- जैसे लोटे का बाहरी भाग चमकता है वैसे ही पुत्र घर के बाहर नाम रोशन करता है यानि इज्जत पाता है।

१४ :- खेतिहर गइने घर दाएँ बाएँ हर।
अनुवाद- खेतिहर गए घर दाएँ बाएँ हल।
अर्थ- मालिक के हटते ही काम करनेवाला कामचोरी करे।

१५ :- खेत खा गदहा अउरी मारी खा जोलहा।
अनुवाद- खेत खाए गदहा और मार खाए जोलहा।
अर्थ- गलती करनेवाले को सजा न देकर किसी और को देना।