एक देह पर सौ-सौ बोझा, कइसे आज खिंचाई
चाउर, दाल, नमक हरदी में-कबले देह बिकाई?
गलती पर गलती करि-करि के, लइका कइनी सात,
भइल बिलाला खइला बेगर, भेंटत नइखे भात,
तन उघार बा, कपड़ा नइखे, मिलतो कहाँ दवाई?
कइली खून-पसीना दिन भर, मिलल मजूरी आधा,
ऊहा सेठवा छीन ले गइल, पेट प दिहलस बाधा,
हाड़ हिलल पर भार ना उतरल, गतर-गतर चिथराई।
केहु के कुतवा दूध पिअत बा, केहु के पुतवा भूखल,
केहु के तोंद हाथ भर बाहर, केहु के पेटवा सूखल,
अरजी सुननिहार कहवाँ बा, आपन भइल पराई
एक त धरकच डहलस, दोसर बिटिया भइल सेयान,
कइसे हाथ पीअर होई, बेटहा भइले बैमान,
दिन में चैन ना रात में निंदिया, फाटल पाँव बेवाई
चाउर, दाल, नमक हरदी में-कबले देह बिकाई?
गलती पर गलती करि-करि के, लइका कइनी सात,
भइल बिलाला खइला बेगर, भेंटत नइखे भात,
तन उघार बा, कपड़ा नइखे, मिलतो कहाँ दवाई?
कइली खून-पसीना दिन भर, मिलल मजूरी आधा,
ऊहा सेठवा छीन ले गइल, पेट प दिहलस बाधा,
हाड़ हिलल पर भार ना उतरल, गतर-गतर चिथराई।
केहु के कुतवा दूध पिअत बा, केहु के पुतवा भूखल,
केहु के तोंद हाथ भर बाहर, केहु के पेटवा सूखल,
अरजी सुननिहार कहवाँ बा, आपन भइल पराई
एक त धरकच डहलस, दोसर बिटिया भइल सेयान,
कइसे हाथ पीअर होई, बेटहा भइले बैमान,
दिन में चैन ना रात में निंदिया, फाटल पाँव बेवाई
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