Wednesday, January 14, 2015

मकर संक्रान्ति (खिचड़ी)

खिचड़ी

हर भारतीय पर्व के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व होला | साथ ही साथ ओसे जुड़ल कवनो ना कवनो कहानी भी होला | ऐसे ही मकर संक्रान्ति के भी साथे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ कहानी भी जुड़ल ह | हर साल 14 या 15 जनवरी के मकर संक्रान्ति (खिचड़ी) के त्यौहार मनावल जाला | जवने दिने सूरज धनु राशी से मकर राशी में जाला ओही दिने मकर संक्रान्ति के त्यौहार मनावल जाला, एह दिने स्नान, दान के बहुत महत्व ह | पूरा भारत में अलग-अलग नाम से अउर अलग-अलग तरीका से मना के विभिन्नता में एकता के मिशाल पेश करेला इ त्यौहार |

असाम में माघ-बिहू (भोगाली-बिहू), त उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति (खिचड़ी) अउर तमिलनाडु में पोंगल के नाम से मनावल जाला इ पर्व | एही दिने सूर्य के उत्तरायण के गति भी शुरू होला जेसे की एकर नाम कहीं कहीं उत्तरायनी भी कहल जाला | एह दिने से ठण्ड के असर कम होखल शुरू हो जाला जेसे की स्वास्थ्य के नजरिया से भी इ बहुत महत्वपूर्ण हो जाला | नेपाल में त इ सार्वजनिक छुट्टी के दिन होला और नेपाली लोग अलग अलग तीर्थ स्थल में स्नान और दान कर के अच्छा फसल खातिर भगवान के धन्यवाद देवेलें |

हरियाणा और पंजाब में एह दिन से एक दिन पहिले एके लोहड़ी के रूप में मनावल जाला | अँधेरा होत ही आग जला के अग्निदेव के तिल, गुड, चावल और भुना मकई के साथ मूंगफली के आहुति दिहल जाला | पारंपरिक मक्का के रोटी और सरसों के साग भी हर घर में मिल जाई आपके एह दिने |

तमिलनाडु में एके पोंगल के नाम से चार दिन तक मनावल जाला | पहिला दिन भोगी-पोंगल, दूसरा दिन सूर्य-पोंगल, तीसरा दिन मट्टू-पोंगल (कनु-पोंगल) और चौथा और अंतिम दिन कन्या-पोंगल | पहिला दिने सफाई कर के सारा कूड़ा- इकठ्ठा कर के जला दिहल जाला, दूसरा दिन लक्ष्मी के पूजा, तीसरा दिन पशु धन के पूजा अउर चौथा दिन कन्या के पूजा कईल जाला | स्नान कर के खुलल अंगना में माटी के बर्तन में खीर बनावल जाला जवन की कुछ-कुछ खिचड़ी तरे होला |


उत्तर-प्रदेश और बिहार में लोग स्नान करे खातिर अलग-अलग तीर्थस्थान पर जाने | इलाहबाद में संगम पर आज से ही माघ-मेला के आधिकारिक रूप से शुरुआत होला जवन की शिवरात्रि के आखिरी स्नान तक चलेला | उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ही आज के दिन खिचड़ी बनले के परम्परा के शुरुआत भईल | इ परम्परा शुरू करे वाला बाबा गोरखनाथ जी रहनीं, इहाँ के भगवन शिव के अंश भी मानल जाला | कहानी ह कि खिलज़ी के आक्रमण के समय नाथ सम्प्रदाय के योगी लोग लड़ाई कईले के चक्कर में खाना न बना पावे, संघर्ष के कारन खाना बना पावे के समय न मिले | जेकरे वजह से योगी लोग दिन पर दिन कमजोर होत जात रहनें | इ समस्या के हल बाबा गोरखनाथ जी निकलनी कि दाल, चावल और सब्जी मिला के एक्के साथे पका दिहल जा | इ व्यंजन बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक भी रहे, इसे तुरंत उर्जा मिले और नाथ योगी लोगन के भी बहुत पसंद आईल | बाबा गोरखनाथ जी एकर नाम खिचड़ी रखनी | खिलज़ी के आतंक के दूर भाईले के कारन आज के ही दिन के गोरखपुर में विजय दर्शन के रूप में भी मनावल जाला | आज भी गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ के मंदिर के आस-पास में मकर संक्रान्ति यानी की खिचड़ी के मेला लागेला | कई दिन ले चले वाला एह मेला में खिचड़ी के ही भोग लगावल जाला और प्रसाद के रूप में भी इहे बांटल जाला |

आप और आपके परिवार के मकर संक्रान्ति (खिचड़ी, बिहू,लोहड़ी,पोंगल) के ढेर सारा बधाई |

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