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खिचड़ी |
हर भारतीय पर्व
के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व होला | साथ ही साथ ओसे
जुड़ल कवनो ना कवनो कहानी भी होला | ऐसे ही मकर
संक्रान्ति के भी साथे वैज्ञानिक और
आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ कहानी भी जुड़ल ह | हर साल 14 या 15
जनवरी के मकर संक्रान्ति (खिचड़ी) के त्यौहार मनावल जाला | जवने दिने सूरज धनु राशी से मकर राशी में जाला ओही दिने मकर
संक्रान्ति के त्यौहार मनावल जाला, एह दिने स्नान, दान के बहुत
महत्व ह | पूरा भारत में अलग-अलग नाम से अउर अलग-अलग तरीका से मना के विभिन्नता में एकता के मिशाल पेश करेला इ त्यौहार |
असाम में
माघ-बिहू (भोगाली-बिहू), त उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति (खिचड़ी) अउर
तमिलनाडु में पोंगल के नाम से मनावल जाला इ पर्व | एही दिने सूर्य
के उत्तरायण के गति भी शुरू होला जेसे की एकर नाम
कहीं कहीं उत्तरायनी भी कहल जाला | एह दिने से ठण्ड
के असर कम होखल शुरू हो जाला जेसे की स्वास्थ्य के
नजरिया से भी इ बहुत महत्वपूर्ण हो जाला | नेपाल में त इ
सार्वजनिक छुट्टी के दिन होला और नेपाली लोग अलग अलग तीर्थ स्थल में स्नान और दान
कर के अच्छा फसल खातिर भगवान के धन्यवाद देवेलें |
हरियाणा और पंजाब
में एह दिन से एक दिन पहिले एके लोहड़ी के रूप में मनावल जाला | अँधेरा होत ही आग
जला के अग्निदेव के तिल, गुड, चावल और भुना मकई के साथ मूंगफली के आहुति दिहल जाला | पारंपरिक मक्का
के रोटी और सरसों के साग भी हर घर में मिल जाई आपके एह दिने |
तमिलनाडु में एके
पोंगल के नाम से चार दिन तक मनावल जाला | पहिला दिन
भोगी-पोंगल, दूसरा दिन सूर्य-पोंगल, तीसरा दिन
मट्टू-पोंगल (कनु-पोंगल) और चौथा और अंतिम
दिन कन्या-पोंगल | पहिला दिने सफाई कर के सारा कूड़ा- इकठ्ठा कर के
जला दिहल जाला, दूसरा दिन लक्ष्मी के पूजा, तीसरा दिन पशु धन
के पूजा अउर चौथा दिन कन्या के पूजा कईल जाला | स्नान कर के खुलल
अंगना में माटी के बर्तन में खीर बनावल जाला जवन की कुछ-कुछ खिचड़ी तरे होला |
उत्तर-प्रदेश और
बिहार में लोग स्नान करे खातिर अलग-अलग तीर्थस्थान पर जाने | इलाहबाद में संगम
पर आज से ही माघ-मेला के आधिकारिक रूप से शुरुआत होला जवन की शिवरात्रि के आखिरी
स्नान तक चलेला | उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ही आज के दिन
खिचड़ी बनले के परम्परा के शुरुआत भईल | इ परम्परा शुरू
करे वाला बाबा गोरखनाथ जी रहनीं, इहाँ के भगवन शिव के अंश भी मानल जाला | कहानी ह कि खिलज़ी
के आक्रमण के समय नाथ सम्प्रदाय के योगी लोग लड़ाई
कईले के चक्कर में खाना न बना पावे, संघर्ष के कारन
खाना बना पावे के समय न मिले | जेकरे वजह से योगी लोग दिन पर दिन कमजोर होत
जात रहनें | इ समस्या के हल बाबा गोरखनाथ जी निकलनी कि दाल, चावल और सब्जी
मिला के एक्के साथे पका दिहल जा | इ व्यंजन बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक भी रहे, इसे तुरंत उर्जा
मिले और नाथ योगी लोगन के भी बहुत पसंद आईल | बाबा गोरखनाथ जी
एकर नाम खिचड़ी रखनी | खिलज़ी के आतंक के दूर भाईले के कारन आज के ही
दिन के गोरखपुर में विजय दर्शन के
रूप में भी मनावल जाला | आज भी गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ के मंदिर
के आस-पास में मकर संक्रान्ति यानी की खिचड़ी के मेला लागेला | कई दिन ले चले
वाला एह मेला में खिचड़ी के ही भोग लगावल जाला और प्रसाद के रूप में भी इहे बांटल
जाला |
आप और आपके परिवार के मकर
संक्रान्ति (खिचड़ी, बिहू,लोहड़ी,पोंगल) के ढेर सारा बधाई |
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