जब जार्ज पंचम भारत आवे वाला रहने तब उ
अपने भाई से पूछने कि "भारत के साधू-संत सही में महान होवेलें ?" तब प्रिंस फिलिप कहने कि "हाँ, कम से कम देवरहा बाबा त जरुर महान हईं, उनसे मुलाकात जरुर कर लिहा " | इ सन १९११ के बात हवे जार्ज पंचम भारत
आईने अउर अपने पूरा लव लश्कर के लेके देवरहा बाबा से मिले पहुँच गईलें, ओह समय विश्वयुध्ध के खतरा मन्डरात रहे, अउर उनके भारत के लोगन के बर्तानिया
हुकूमत के पक्ष में करे के रहे | उनसे भईल बात बाबा अपने कुछ शिष्यन के भी बतवले रहनी लेकिन आज केहू
भी ओह बारे में बात करे के तैयार ना होला | जब डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कवनो दू-तीन
साल के रहनी त अपने माता-पिता के साथ बाबा के दर्शन करे पहुचनी, राजेन्द्र बाबु के देखते ही बाबा बोल
पड़नी "इ बच्चा त राजा बनी" बाद में जब डॉक्टर साहब भारत के पहिला
राष्ट्रपति बन गईनी त बाबा के एगो पात्र लिख के आपन कृतज्ञता प्रकट कईनी, अउर त अउर सन ५४ के कुम्भ के मेला में
बाबा के सार्वजनिक रूप से पूजन भी कईनी | बाबा के भक्तन में लाल बहादुर शास्त्री
जी,
जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी अउर अटल बिहारी वाजपेयी
तक के नाम शामिल हवे | पुरुषोत्तम दास टंडन जी के राजर्षि के उपाधि त बाबा के ही दिहल हवे |
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परम-पूज्य देवरहा बाबा |
परसिध्ध संत ब्रह्मर्षि योगिराज देवरहा
बाबा के कर्मस्थली देवरिया जिला रहल | देवरिया क्षेत्र के जनता आज भी बाबा के
दिल से शुक्रगुजार हवे कि परम मनीषी, योगीराज देवरहा बाबा देवरिया के माटी
के ए लायक समझनी अउर ओके आपन निवास स्थान
बना के अपने पवन चरण से पवित्र कर देहलीं, इतना ही ना बाबा अपने ध्यान अउर योग के
बारिश से जनमानस के सराबोर कर दिहनीं | बाबा के ही कृपा रहे कि आज देवरिया
जिला विश्व पे छा गईल बा | बाबा के ब्रह्म में विलीन भयिले के लगभग अढ़ाई दसक के बाद भी
श्रद्धालु उहाँ के इश्वरी गुणन के चर्चा करत ना अघाने | बाबा के असली निवास के बारे में केहू
के कुछ ना पता हवे, कहल जाला कि बाबा कहीं बाहर से आईल रहनी, अउर सलेमपुर तहसील से करीब एक कोस दूर
मईल में सरयू नदी के किनारे एगो मचान पर आपन डेरा जमा लेहनी | बाबा के उमर के बारे में कुछ न पता रहे
ना ही कवनो अंदाजा रहे, उहाँ के पतंजलि के अष्टांग योग में महारत हासिल रहे खास कर के खेचरी
मुद्रा के कारन अपने भूख पर भी बाबा के नियंत्रण रहे जवने वजह से उहाँ के केहू
कब्बो कुछ खात ना देखले रहे, खेचरी के कारन ही बाबा के आयु पर भी नियंत्रण रहे अउर उहाँ के उमर
९०० से लेके २५० साल तक के बतावल जात रहे | इलाहाबाद के एगो वकील के अनुसार त बाबा
उनकर परिवार के ७ पीढ़ी के आशीर्वाद देवत आईल रहनी |
दया के महासमुद्र बाबा आपन इ संपत्ति
खुला हाँथ से सबपर बिना कवनो भेद-भाव के लुटयिनी | अइसन मानल जाला कि बाबा के आशीर्वाद हर
बीमारी के दवाई रहे, इहो कहल जाला कि बाबा देखते ही समझ जात रहनी की सामने वाला के कवन
सवाल ओके परेशान करत हवे | दिव्यदृष्टि के साथ तेज नजर, कड़क आवाज में खुल के हंसल अउर खूब
बतियावल बाबा के आदत रहे | बाबा के जीवन एकदम सादा रहे, भोरे में ही स्नान कर के ध्यान में लीन
हो जायीं अउर मचान पर बैठ के अपने भक्तन के ज्ञान के प्रसाद बाल शुरु कर देईं, लकड़ी के चार खम्भा पर बनल मचान ही उहाँ
के महल रहे | साल
के ८ महिना अपने महल में रहले के बाद कुछ दिन बनारस के रामनगर में गंगा जी के बीच
में, माघ
में प्रयाग में, फागुन
में मथुरा के माँठ में अउर कुछ समय हिमालय के गोंद में भी बितायीं | नर्मदा के अमरकंटक में एक आंवला के पेड़
के नीचे रहले के कारन बाबा के एगो नाम अमलहवा बाबा भी पड़ गईल रहे |
मथुरा के माँठ में रहत समय एक बार
प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी के बाबा के दर्शन करे खातिर आवे के रहे | सुरक्षा के तगड़ा प्रबंध कईल जात रहे
अउर इलाका के रेकी होत रहे, ऐसे में हैलीपैड बानवे खातिर एगो बबुल के पेड़ के काट छांट कईले के
जरुरत महसूस होत रहे, निर्देश दिहल जा चुकल रहे कि अचानक से बाबा के पता चलल, बाबा एगो पुलिस वाला के बुला के पूछनी
कि इ पेड़ काँहे कटाई | जवाब मिलल कि सुरक्षा के वजह से जरुरी बा, बाबा फिर कहनी कि तू इहंवा
प्रधानमंत्री के खातिर पेड़ काट के अपने कर्तव्य के पालन कर देबअS, प्रधानमंत्री के भी नाम होई की
साधू-संत के पास गईल रहने, लेकिन एह सब के दंड इ बेचारा पेड़ काहें भुगते | जब इ हमसे पूछी त हम का जवाब देब, नाही इ पेड़ नहीं कटाई | प्रशासन में हडकंप मच गईल दिल्ली से
आवे वाला अफसरान के फैसला रहे एह लिए एके काटही के पड़ी | मगर बाबा एह बात खातिर तैयार ना रहनी
कहनी कि इ पेड़ होई तोहन लोगन के नजर में हमार त सबसे पुरान शिष्य हवे हमसे बात
करेला, पेड़
ना कटी | अफसर
हैरान परेशान की अब का कईल जा | दया के महासमुद्र बाबा के दिल पसीज गईल अउर पूछनी की प्रधानमंत्री के
कार्यक्रम टल जा तब | लेकिन अफसर एह बात से भी परेशान कि आखिर अइसन कैसे हो सकेला, फिर बाबा कहनी कि परेशान मत होख, कार्यक्रम टल जाई | अउर आश्चर्य कि दू घंटा के बाद ही प्रधानमंत्री
के आफिस से रेडिओग्राम आ गईल कि कार्यक्रम टल गईल बा | कुछ ही हफ्ता के बाद आखिरकार
प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी आईनी लेकिन एह बार ओ पेड़ के काटे के जरुरत ना पडल | अइसन रहनी परम पूज्य देवरहा बाबा |
अचानक ११ जून १९९० के जब बाबा मथुरा
में रहनीं तब उहाँ के दर्शन दिहल बंद कर देहनी, लगत रहे कि कुछ अनहोनी घटे वाला बा, मौसम
बदल गईल अउर यमुना के लहर बेचैन होखे लागल | आखिर १९ तारीख के मंगलवार योगिनी
एकादशी के दिन आसमान में काला बदल छा गईल अउर यमुना के लहर जैसे बाबा के मचान तक
पहुचे लागल, एह
सब के बीच शाम के ४ बजे बाबा के शारीर स्पंदन रहित हो गईल, प्रकृति के साथ भक्तन के आपर भीड़ भी
हाहाकार करे लगनें | बर्फ के सिल्ली लगा के बाबा के शरीर के सुरक्षित रखे के प्रयास भईल | तब तक बाबा के ब्रह्मलीन होख्ले के खबर
देश विदेश में फ़ैल चुकल रहे कि अचानक बाबा के सर में स्पंदन महसूस भईल अउर बाबा के
ब्रह्मरंद्र खुल गईल, जवने के फूल से भरले के परयास भईल लेकिन बाबा के शिष्य देवदास के
पूरा कोशिश कईले के बाद भी ना भरल जा सकल |आखिरकार , दू दिन के बाद बाबा के देह के ओही
सिद्धासन-त्रिबंध मुद्रा में जवने में बाबा बैठल रहनी के स्थिति में यमुना में
प्रवाहित कर दिहल गईल |
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