आज तक हमहन के समाज न ही पुराना खयालात पूरा तरह से छोड़ पवलेबा ना ही नया रीति-रिवाज के पूरा तरह से अपना पवले बा | अजीब से चितकाबर बानर बन गईल बा | अगर आप इ मानत हईं कि गीत- संगीत और सिनेमा समाज के दर्पण होला त इहो मनले में कउनो हरज नहीं होखे के चाही कि भोजपुरी गीतन में अश्लीलता या नंगापन ग्रामीण समाज में फैलल कुंठित भावना के अभिव्यक्ति मात्र ही ह | एगो नजरिया त इहो बा की ग्रामीण समाज दबा के रखे वाला चीजन के लेके सहज महसूस करेला अउर शायद एही से उनके एह अश्लीलता के लेके कउनो ख़ास शिकायत नइखे जवने तारे सभ्य समाज के बा |
बहुत पहिले मनोज तिवारी के एगो अलबम आईल रहे "पूरब के बेटा" ए अलबम के सगरी गाना अइसन बा की आप अपने पूरा परिवार के साथ बैठ के सुन सकेली | ओकरे कुछ समय बाद ही आईल मनोज तिवारी के ही भोजपुरी फिल्म "ससुरा बड़ा पईसा वाला" | यकीन मानी देवरिया के सूरज टाकिज में इ लगातार तीन महिना चलल | एह फिल्म के देखे खातिर ओह समय पूरा गाँव के गाँव आवे | लेकिन एकरे हिट होखले के बाद अचानक से भोजपुरी गानन के भरमार आवे लागल काहे से की मनोज तिवारी पहिले गाना गावत रहने फिर उनकर फिल्म आ गईल | त जल्दी मशहूर होखे के खातिर भोजपुरी गायक दू मतलब (द्विअर्थी) वाला गाना गावल शुरू कइले | फिर ट्रक, टेम्पो और बस वाला सब एह सब गाना के पूरा आवाज में चलावे लगने | और धीरे-धीरे कब इ सब गाना ट्रक, टेम्पो और बस वाला सब से आम इंसान के पास पहुच गईल इ न कहल जा सकेला | आज कम समय में ढेर मशहूर होखे के बा त एगो अलबम अइसन बना दी बस |
आज के भोजपुरी गीत में कल्पनाशीलता के अइसन-अइसन बाण छोड़ल जाला कि महाभारत के अर्जुन और कर्ण भी शर्म से डूब मरे | आज के भोजपुरी गीतन के चोली और लहंगा से त इतना गहरा रिश्ता बन गईल बा कि पूछी मत | जब तक कि गाना में एह दुन्नो के जिकर ना होई तबले गाना नाही पुरा हो सकेला | "मोरे लहंगा में आवे रे भूकम्प ", "लहंगा में सबसे बड़ा ATM", "हमरे लहंगा में मीटर लगा दी राजाजी", "तोहार लहंगा उठा देब रिमोट से" सब से शुरू भईल इ श्रृंखला कब जा के रुकी कहल न जा सकेला | अगर आपके अब्बो लगत होखे की कल्पनाशीलता के कुछ कमी बा त "हाई पॉवर के चुम्बक बाटे इनका दुप्पटा के पीछे" आ "कसम से देह रसगुल्ले बा" उ कमी पूरा कर दिहें सब | गावें में एक गाना हर इंसान के मोबाइल में मिल जाई "मिस कॉल मारत तारु किस देबू का हो" | विश्वास करीं गावें के इतना विकास भईल कि आजुवो नंगे भईस चरावत आदमी के पास भी एगो महंगा मोबाइल सेट जरुर मिल जाई जेम्मे की कुछ अइसन ही गीत बाजत होई | ओकरे बादो अगर आप नहीं सुन पावत बानी त चिंता न करीं कवनो छोटहन लईका के पकड़ी, उ जरुर सुना देई उहो लाइव | अगर आप कही हिन्दी आ चाहे कौनो और भाषा बोले वाला लोगन के साथे खड़ा बानी त भोजपुरी के नाम लेहला से ही आपके अइसन नजर से देखल जाई की जैसे केतना बडहन गुनाह कर देहले बानी आप | और एकर सबसे बडहन कारन इहे अश्लील गाना हवें सब | एह परिस्थिति के बदले के जरुरत बा |
लोकगीतन के अपने इहाँ बहुत ही समृद्ध परम्परा रहल बा अवधी, बृजभाषा, भोजपुरी, मगही के गीतन के धूम रहल बा जेम्मे की जीवन के हर मोड़ खातिर गाना बा बिरह से लेके मिलन तक के, बचपन से लेके बुढ़ापा तक के, इहाँ तक कि मौसम के हिसाब से भी, जइसे होली के लोकगीत फगुआ से लेके चैता और कजरी तक | अउर एह सब गीतन के पद्मश्री शारदा सिन्हा, भारत शर्मा, मनोज तिवारी और बालेश्वर यादव जइसन गायक नया आयाम दिहलें | अइसे में अश्लीलता के भोजपुरी गीतन पर छा जावल बहुत खलेला | आज के समय में कवनो दुकान पर शायद ही कजरी, चैता या फिर फगुआ के कैसेट या सीडी मिले पर द्विअर्थी गाना के जरुर मिल जाई | पद्मश्री शारदा सिन्हा जी अपने एगो इंटरव्यू में कहले रहनी कि "पैसा के लालच में हम कैसे आपन थाती गवां देई" | बस एक लाइन में उहाँ के द्विअर्थी गाना बनले के सबसे बडहन कारन बता देहलीं |
एगो समय रहे जब भोजपुरी गीत, सुने वाला से इतना गहरा रिश्ता बना लें कि सुने वाला ओम्मे डूब जा कारन बस इ रहे कि ओह समय के गाना सब आपन माती और संस्कृति के असली झलक देखावें | "नदिया के पार" के गाना "कवने दिशा में लेके चला रे बटोहिया" होखे चाहे "बालम परदेशिया" के "गोरकी पतरकी रे" होखे में न त आज के तारे थोपल गईल गंभीरता रहे न ही कवनो तरह के अश्लीलता रहे लेकिन फिर भी आज तक सुने वाला लोगन के ना बस याद ह बाकिर गुनगुनावे पे भी मजबूर करेला |