Thursday, October 2, 2014

माटी के लाल- लाल बहादुर शास्त्री

इ बात त सभे जानत बा की २ अक्टूबर १८६९ के महात्मा गाँधी जी के जन्म भइल रहे और उनके याद में इ दिन गाँधी जयंती मनावल जाला | पर एइदीन एगो और महापुरुष और भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के भी जन्म भइल रहे | भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म आज के ही दिन यानी की २ अक्टूबर १९०४ के उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय में साधारण निम्नवर्गीय परिवार में भइल रहे  |



श्री लाल बहादुर शास्त्री जी


आपके वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव रहे | शास्त्री जी के पिता जी श्री शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एगो प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक रहनी और बाद में उहा के भारत सरकार में राजस्व विभाग में क्लर्क पद पर काम कईनी | लाल बहादुर के  माँ के  नाम रामदुलारी रहे । 

लाल बहादुर शास्त्री जी के शिक्षा हरिश्चंद्र उच्च विद्यालय और कशी विद्यापीठ में भइल | अपने स्नातकोत्तर के बाद आपके शास्त्री के उपाधि मिलल और आप आपन जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हटा के जीवन पर्यंत शास्त्री के प्रयोग कईनी |

आपके राजनितिक जीवन के प्रारंभ भारत सेवा संघ से जुडले पर भइल | भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भूमिका के चलते आपके कई बार जेल भी जाये के पडल | १९२१ में असहयोग  आन्दोलन, १९३० में दांडी मार्च और १९४२ में भारत छोडो आन्दोलन में आपके भूमिका बहुत ही सराहनीय रहल |

भारत के स्वतंत्रता के बाद शास्त्री जी के उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव बनावल गइल | श्री गोविन्द बल्लभ पन्त जी के मंत्री मंडल में आपके पुलिस और यातायात मंत्रालय दिहल गइल | परिवहन मंत्री के रूप में आप महिला संवाहकन ( कन्डकटर ) के नियुक्ति कईनी | पुलिस मंत्री रहत हुए आप भीड़ के नियंत्रित करे खातिर लाठी के जगह पर पानी के बौछार के प्रयोग के शुरूवात कईनी | १९५१ में जब जवाहर लाल जी प्रधानमंत्री रहनी तब आपके अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बनावल गईल | १९५२,१९५७ और १९६२ के चुनावन में कांग्रेस पार्टी के भरी बहुमत से जीतले के श्रेय आपके अथक परिश्रम और प्रयास के ही नतीजा रहे |

आपके प्रतिभा और निष्ठा देख के ९ जून १९६४ के भारत के दूसरा प्रधानमंत्री के रूप में आपके शपथ दिलवाल गईल | २६ जनवरी १९६५ के देश के जवान और किसान के आपन कर्म और निष्ठा के प्रति मजबूत रहे और देश के खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनावे के उद्देश्य से आप " जय जवान, जय किसान" के नारा  दिहली | इ नारा अजुवो पूरा भारत में लोकप्रिय बा | उज्बेकिस्तान के राजधानी ताशकंद में पाकिस्तान के ओ समय के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करे वाला समझौता पर हस्ताक्षर कईले के बाद ११ जनवरी १९६६ के रात में रहस्यमय परिस्थिति में आपके मृत्यु हो गईल |

आपके सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी खातिर आपके मरणोपरांत " भारत रत्न " से सम्मानित कईल गईल |

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