दिवाली के शुरुआत होला कार्तिक महीना के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी के दिन से | ऐ दिन के धनतेरश भी कहल जाला | इ दिने आरोग्य के देवता धनवंतरी के आराधना होला और नया- नया बर्तन, आभूषण आदी चीज खरीदले के भी रिवाज़ हवे | आज के दिन घी के दिया जला के माता लक्ष्मी के बुलावल जाला |
धनतेरश यानि की धन त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी के भी पूजा कइल जाला | भगवान धनवंतरी देवताओ के डाक्टर यानी की वैद्य भी मानल जालें | इनकर पूजा कइले से आरोग्य-सुख यानी की स्वस्थ्य लाभ मिलेला | शास्त्रों में लिखल कहानी के अनुसार आज के ही दिने समुन्द्र मंथन से भगवान धनवंतरी अपने हाथे में अमृत के कलसा ले के प्रकट भइल रहने | धनवंतरी के भगवान विष्णु के अंशावतार भी मानल जाला | कहल जाला की संसार के चिकित्सा विज्ञान बतावे के खातिर भगवान विष्णु धनवंतरी के अवतार लिहनी |
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धनतेरस के हार्दिक शुभकामना |
एगो दूसर कहानी भी प्रचलित हवे एह दिन के बारे में | कहल जाला की एक बार भगवान विष्णु मृत्युलोक में घुम्मे खातिर आवत रहनी त माता लक्ष्मी जी भी उहा से साथे चले के आग्रह कइनी तब विष्णु जी कहनी की ठीक बा, लेकिन जइसन हम कहब वइसन ही करे के पड़ी | लक्ष्मी जी उहा के बात मान गइनी और भगवान विष्णु जी के साथे मृत्युलोक पर घुम्मे खातिर अइनी | कुछ देर के बाद एगो जगह पर पहुच के विष्णु जी कहनी की जब तक हम न आई तब तक आप यही रुकी | हम दक्षिण दिशा के ओर जात बानी, लेकिन आप उधर मत आइब |
लक्ष्मी जी के चंचला अइसे ही ना कहल जाला उ चंचल-मन हईं | त चंचल-मन कहा माने वाला रहे लगनी सोचे की आखिर ओ दिशा में अइसन का बा की हमके मन कर दिहनी ह और खुदे गइनी ह | लक्ष्मी जी भी लगनी पीछे-पीछे जाये, कुछे दूर गइले पर एगो सरसों के खेत मिलल जेम्मे की फूल लागल रहे | सरसों के फूलाइल खेत के शोभा और महक से बहक के लगनी फूल तूर-तूर के आपन श्रृंगार करे | फिर आगे बढ़नी त गन्ना के खेत मिलल इहा भी गन्ना तूर के रस चुभे लगनी | ओही समय भगवान विष्णु जी आ गइनी और लक्ष्मी जी के उहा देख के गुस्सा हो गइनी और शाप देहली की जवनव किसान के आप चोरी कइले बानी ओकर १२ साल ले सेवा करीं | इहा देखे वाला बात बा की चोरी एगो अइसन अपराध ह की ओकर सजा भगवान के भी मिलल |
त शाप देके त भगवान विष्णु जी आपन लोक चल गइनी पर अब लक्ष्मी जी के ओ किसान के घरे रहे के पडल | अब अगर साक्षात लक्ष्मी जी जहा रहब उहा त धन धान्य और खुशहाली अइबे करी | इहे भइल किसान के घरे भी ओ किसान के घर खुशहाली से भर गइल और धन सम्पदा के कवनो ओर-छोर ना रहल | किसान के १२ साल बड़ा आनंद से कटल लेकिन जब १२ साल के बाद भगवान विष्णु जी माता लक्ष्मी जी के वापस लेवे खातिर अइनी त किसान उहाँ के वापस भेजे से मना कर दिहलस | तब माता लक्ष्मी जी कहली की अगर हमके रोकल चाहत बानी त जइसन हम कहत बानी वइसन करीं | कल तेरस के दिने तू आपन घर लीप पोत के साफ़ करअ | रात में घी के दिया जला के रखिह शाम के हमार पूजन करिह और एगो तम्बा के कलश में पैसा रख के रख दिह हम ओही में रहब लेकिन दिखाई ना देब | एह एक दिन के पूजा कइले से हम साल भर तोहरे घरे से नाही जाइब | एतना कही के उ चली गइनी | अगला दिने किसान लक्ष्मी जी के कहले अनुसार पूजन कइलसऔर ओकर घर हमेशा खातिर धन धान्य से भर गइल | एही से हर साल तेरस के दिने लक्ष्मी जी के पूजा कइल जाला |
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